तू इन्सान
था कल तक,
आज याद बन
गया है,
कौन-कौन से
लम्हें भूलें,
तेरी कौन
सी बात याद करें,
एक पहेली
की तरहा तू था,
अब तो एक
सवाल बन गया है,
इन्सानों
में इन्सानियत खोजता,
तू दुनिया
में घूमता रहा,
विज्ञान का
तेरा करीब से नाता था,
तू उसी से मात खा गया,
बहता ख़ून
उजड़ती दुनिया,
तेरा सपना
बच्चों की बहतर दुनिया,
ज्ञान हर
घर तक जायेगा,
अन्धकार
दुनिया से मिटेगा,
तू हमेशा
कहता था हमसे,
समझो और
दुनिया को समझाओं,
इन्सानों
का संगठन बनाओं,
जो प्यार करें
इन्सान से,
चाटूकार और
दलालों की दुनिया,
बड़ी सीमित
और संकरी है,
तुम आवाज़़
को आवाम तक ले जाओ,
मेरा गाँव
जो सोया-सोया सा है,
तुम एक बार
जगा दो,
दुनिया के
हर चेहरे पर मुस्कान ला दो।